प्राउड ऑफ़ आवर आर्मी फॉर ऑपरेशन सिंदूर बिल्कुल सही है, परंतु बगैर मोदी सरकार पर गर्व किये ऐसा कहना कितना उचित है ?

कल तक कहा सरकार के साथ खड़े हैं, आज कैसे गवारा हो जब विपक्षी सियासत-दान सरकार के लिए कुछ भी न कहे ? इसी तारतम्य में कांग्रेस के मुस्लिम नेता राशिद अल्वी ने जो 'कहा' एक पल तो अच्छा लगा कि 'हमारी सेना ने वही किया, जो भारत सरकार ने कहा', परंतु दुसरे ही पल उनका किया गया सवाल 'कि क्या हर आतंकवादी मारा गया है ?' निराश कर गया. हालांकि गरिमा का परिचय दिया एक अन्य कांग्रेस के बुद्धिजीवी नेता शशि थरूर ने ! उन्होंने कहा, "I applaud the government and stand solidly with our armed forces........Today what the government has done is a fitting response .....I do believe the government needed to do this .....The nation must stand united at this time."      

वैसे कल तक तो आर्मी के साथ भी नहीं खड़े थे आप ! खड़े होते तो कम से कम सेना और सैन्य संसाधनों का मजाक उड़ाने वाले चन्नी की और अजय रॉय की भर्त्सना करते हुए कुछ काल के लिए ही उन्हें सस्पेंड कर देते !  चूंकि पूर्व में आपने ऐसा किया भी है, मणि शंकर को सस्पेंड किया था.  

परंतु उल्टे आपके तमाम प्रवक्ता जस्टिफाई करने के लिए ऊलजुलूल तर्क देते रहे. और दोनों नेता तो बेतुकी सफाईयाँ दे ही रहे थे. अजय रॉय तो क्लेम भी करने लगे कि उनके कार्टून ने ही राफेल को सक्रिय किया.  
और नहीं तो कम से कम "उनकी" तो प्रशंसा कर देते, जिसने ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया इस अभियान को !  आज तो वो चुनिंदा पत्रकार, जो अमूमन हर पल हर बात के लिए मोदी जी की खूब आलोचना करते हैं, भी इस नाम की और मिलिट्री प्रेस ब्रीफिंग के स्पोक्स पर्सन्स के खूबसूरत कॉम्बिनेशन मसलन कर्नल सोफिया कुरैशी (इंडियन आर्मी), विंग कमांडर वोमिका सिंह(इंडियन एयर फोर्स ) एवं फॉरेन सेक्रेटरी विक्रम मिशरी (कश्मीरी) की भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे हैं.  जाहिर है सरकार ने तय किया होगा ना ये कॉम्बिनेशन ! क्यों ऐसा किया, समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है ?  इनसे बेहतर सिंबॉलिक कुछ और हो सकते है क्या ? तो ग्लोबली संदेश गया ना देश सबका है और एक ही उद्देश्य है सबका साथ सबका विश्वास सबका प्रयास ! 

वर्किंग कमेटी की मीटिंग में हुए डिस्कशन का हवाला देते हुए कांग्रेस के सबसे बड़े नेता ने कहा, "Full support to our forces, best wishes to them, much love to them." ना तो सरकार को ना ही पीएम मोदी को wishes दी, क्यों ? 

कारण स्पष्ट है.  एक तो उनका यह दिखाने का प्रयास है कि सेना की सफलता के पीछे सरकार की भूमिका कमतर है. दूसरे वे तत्पर हैं ही नुक्ता कोई मिल जाए और सरकार की टांग खींच ही लें ! जैसे कि सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पाकिस्तान पर भारत की कार्रवाई की सराहना करते हुए भारतीय सेना को सलाम तो किया है,  परंतु उन्होंने सरकार से मारे गए आतंकियों की संख्या और हुए नुकसान का खुलासा चाहते हैं. भई ! दो तीन दिन रुक जाओ ना, पाकिस्तान ने संख्या सुबह आठ बताई थी, दोपहर के बाद छब्बीस बता दी, कल तक सौ पार कर ही लेंगे ! अकेले मसूद अजहर के परिवार के ही दस लोग और उसके चार अन्य साथी मारे गए, खुद उसने कबूल किया है कि भाई मारा गया, बहन मारी गई, बीवी मर गई, काश, मैं भी मारा जाता !           
       

कल में जाएँ तो सुनते है वाजपेयी जी ने ,विपक्षी नेता होते हुए भी, 1971 में इंदिरा को दुर्गा का अवतार बताया था.  बात हौसला अफजाई की होती है, जहाँ अपेक्षित है, करनी ही चाहिए. सवाल है कैसी प्रवृति है कल तक मोदी को कमजोर बता रहे थे, आज मोदी को श्रेय देने को तैयार नहीं है.  निःसंदेह ऑपरेशन सिंदूर सेना ने ही किया है, लेकिन निर्विवाद है इसे करने का आदेश पीएम नरेंद्र मोदी ने ही दिया है.  निःसंदेह हमारी सेना अद्वितीय है, हमारा नेता भी विश्व में अद्वितीय है, हमारा गर्व है !             

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Prakash Jain

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