साढ़े साती रिपीट हो गई है उसकी, औंधे मुंह गिरना ही है उसको !

सरकार 3.0 है, तो उसकी साढ़े साती 2.0 होनी ही थी ! सिम्पटम्स नजर आने लगे है. एक बार फिर उसे सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाईं है. ऑन ए लाइटर नोट कहें तो लगवाई गई है, चूंकि वकील कॉमन  है ! तब भी पड़वा दी थी, अब फिर पड़वा दी है. कोर्ट ने दो टूक कहा, "इस बार सावरकर हैं, अगली बार कोई महात्मा गांधी ( जिन्होंने वायसराय को लिखे अपने पत्रों में आपका वफादार सेवक शब्दावली का इस्तेमाल किया करते थे) को भी अंग्रेजों का नौकर कह सकता है.  हम स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे. लगे हाथों सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अगर भविष्य में ऐसे बयान दिए गए तो सीधे स्वतः संज्ञान लिया जाएगा.

परंतु विडंबना ही है कि एक स्वयंभू स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषक को शीर्ष कहा रास नहीं आ रहा है और अपने चैनल के माध्यम से शो करते हुए कुतर्क कर रहा है और शीर्ष न्यायालय की अवमानना कर रहा है ! मनमाफिक बात करे सुप्रीम कोर्ट तो यही विश्लेषक कसीदे पढ़ते हैं न्यायालय के ! कहने का मतलब बतौर विश्लेषक या फिर बतौर राजनेता ही आप किसी की आलोचना तो कर सकते हैं, निंदा नहीं ! न्यायालय को एतराज था चूँकि “उसने” सावरकर की निंदा की और वह भी उस धरती पर जहाँ लोग उन्हें आराध्य मानते हैं, यहाँ तक कि उसके सहयोगी दल के नेता भी ! 
वह गलतियां किये जा रहा है, चूंकि साढ़ेसाती जो है तो गलती से गलतियां हो ही जाती है. बेचारे की एक और फूल प्रूफ साजिश भी उजागर हो गई. दुनिया जान गई कि हिंडनबर्ग को अडानी के पीछे लगाने वाला कौन था ? इस साजिश में "हुआ तो हुआ" भी था, जिसके अमेरिकी घरों में इस व्यूह की रचना हुई थी. दरअसल वह अमेरिका जाता ही इसलिए है, उसने मई, 2023 में कैलिफोर्निया के पालो ऑल्‍टो में हिंडनबर्ग के सहयोगियों से मुलाकात की थी. एकमेव उद्देश्य हिंडनबर्ग के फाउंडर एंडरसन की टीम के साथ मिलकर अडानी और मोदी को नुकसान पहुंचाने का था. फिर वो कहते हैं ना चोर चोर मौसेरे भाई, तो साथ मिला जार्ज सोरोस का, निहित स्वार्थी एक्टिविस्टों का, वकील, पत्रकार और हेज फंड का ! इन बेचारों ने तो सोचा भी नहीं था कि इजरायल की नामचीन ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद उनके पीछे लग जायेगी ! सो हुआ ऐसा कि ऑपरेशन जैप्लिन चलाया गया और खुलासा हुआ. और हुआ तो "हुआ तो हुआ" क्या करे ? 

"जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है" - उसने कहा था ! आज जब इतनी बड़ी आतंकवादी घटना अंजाम पाई, जिसमें केवल हिंदू मेल टूरिस्टों को पहचान के लिए  नाना प्रकार के घृणित तरीकों को अपनाकर शूट किया गया, पूरे देश में ट्रेमर सरीखा हल्का कंपन हो ही सकता है. हालांकि सभी राज्य सरकारें पूर्ण सचेत है, सख्त भी है कि यदि कहीं कश्मीरियों (छात्रों या रहवासियों) की सुरक्षा को लेकर हल्की सी भी सुगबुगाहट भी है तो एक्शन में आ जाए. तदनुसार हेल्पलाइन स्थापित की गई है, जम्मू कश्मीर सरकार भी सभी राज्यों के संपर्क में हैं. और ये एहतियात इसलिए है चूंकि मौजूदा सरकार कटिबद्ध है सौहार्दपूर्ण वातावरण को बनाये रखने के लिए ! हालांकि आम लोग समझ रहे हैं कि आतंकवादियों का साथ देने वाले गिने चुने कट्टरपंथी कश्मीरी ही हैं, जबकि आम कश्मीरी तो एकजुट है ऐसी किसी भी आतंकवादी गतिविधि के खिलाफ ! सीधी सी बात है जहाँ सत्ता, सरकारी तंत्र और लोग भी सौहार्द के लिए प्रयासरत हैं, सभी विपक्षी नेताओं से भी संयम अपेक्षित है. ऐसा कुछ भी क्यों बोलना कि अन्यथा ले लिया जाए या निष्कर्ष निकल आये कि भूकंप आएगा ही आएगा ! 

लोग समझने लगे थे कि अब वह समझदार हो गया है, परिपक्व हो गया है, चूंकि बातें अच्छी अच्छी जो करने लगा था. परंतु पता नहीं क्यों वह आतंकवाद की इस घिनौनी घटना पर कम्प्लेनिंग मोड में है, कहने को साथ है परंतु युतियों के साथ ! पता नहीं क्यों सरकार को हर बात के लिए कटघरे में खड़ा कर वह कौन सा तीर मर लेगा राजनीति के मैदान में ? क्या जरुरत थी इस समय घटना के सिर्फ 48 घंटे बाद कश्मीर के भाई बहनों के लिए अतिव्य्घ्र (excessive concern) होने की ? तो लोग मतलब क्यों ना निकाले कि कांग्रेस के लिए हुआ तो हुआ भर ही है और इसमें भी वोट बैंक के लिए स्वार्थपरक राजनीति कर लेनी है ? क्योंकि उसने बोला और उसे पकड़कर तमाम कांग्रेसी नेता प्रवक्ता बोल बचन उवाचने लगे मानो जो हुआ वो सरकार की वजह से ही हुआ ! जबकि ऐसा कर वे आतंकवाद को हरा नहीं पाएंगे, बल्कि मौक़ा ही देंगे. तभी तो किसी पाकी हुक्मरान के नुमाइंदे ने कह भी दिया है कि भारत का विपक्ष हमारे साथ है !  

ऑन ए लाइटर नोट, आंकड़ों की दृष्टि से, वर्तमान पीएम ने तक़रीबन पंद्रह सालों तक एक राज्य का सीएम रहने के बाद 64 साल की उम्र में इस मुकाम को हासिल किया था. वह तो कभी किसी पद पर नहीं रहा और फिर उसकी उम्र अभी 54 साल ही है. अभी उसकी साढ़े साती चल रही है, जो तब ख़त्म होगी जब उसकी उम्र 61-62 साल होगी. तदुपरांत वह दो तीन साल मेहनत करे और बशर्ते सभी स्थितियां समान रहे , तो देश का पीएम 2034 में अवश्य बन ही जाएगा  !           

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Prakash Jain

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