
हिंदुस्तान पाकिस्तान सीज फायर चालू है, लेकिन डिजिटल और सोशल मीडिया पर हिंदुस्तान के राजनीति के दंगल के दो दिग्गज प्रतिद्वंदियों ने सीज फायर भयंकर रूप से तोड़ दिया है. कांग्रेस के किसी प्रवक्ता ने शेर सुनाया, "कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता " तो प्रत्युत्तर भी शेर से ही मिला और साथ ही भूले बिसरे डॉक्टर मनमोहन सिंह भी प्रासंगिक हो गए, "हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली !"
निश्चित ही कुछ तो ऐसा हुआ था, जिसे भुला देना दोनों ही देशों के हित में है. हालांकि क़यास खूब लग रहे हैं, लगने दीजिए ; खुश होने का, गम गलत करने का अधिकार कैसे छीन सकते हैं ? परंतु गलती से भी दोनों में से किसी ने भी हकीकत उवाच दी, शर्मसार दोनों ही होंगे. दोनों ही मानो गुनगुना रहे हैं, "पर्दे में रहने दो, पर्दा ना उठाओ ; पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा, अल्लाह मेरी तोबा, अल्लाह मेरी तौबा ....." परंतु भेद तो बाहर आकर ही रहता है खुद ब खुद, अपना समय ज़रूर लेता है. ठीक वैसा ही है जैसा परस्पर एक पक्ष के कहने पर " मुझे स्पेस चाहिए" , वह कहता है "टेक योर ओन टाइम" बशर्ते दोनों की नीयत साफ़ हो, समाधान की हो ! वह समय आए, तब तक चूंकि बातें कई हैं, कर ही लेते हैं.
क़यास लगाने पर पाबंदी तो है नहीं, हम भी लगाएंगे परंतु उन फैक्ट को आधार बनाकर जो कहीं ना कहीं सर्फ कर रहे हैं पब्लिक डोमेन में ! लेकिन उसके पहले चल रहे डिजिटल संघर्ष पर छोटी सी टिप्पणी कर दें ! निःसंदेह मोदी इंदिरा गांधी नहीं है, फॉर दैट मैटर लाल बहादुर शास्त्री नहीं है और नेहरू भी नहीं है. काल खंड में जो भी पीएम हुए थे, तदनुसार निर्णय लिए उन्होंने ! तुलना ही बेमानी है. शास्त्री जी ने कहा था, "युद्ध विराम के मायने शांति नहीं है". आज यदि प्रासंगिक है तो उनका यही "कहा" है. शास्त्री जी ने यह बात उस संदर्भ में कही थी जब यूएन के महासचिव ऊथां ने भारत पाक के पैंसठ के युद्ध के दौरान युद्ध विराम की अपील की थी. आकाशवाणी पर देश के नाम संबोधन के प्रमुख अंशों की वही लाइन है जो वर्तमान पीएम की है.
"युद्ध विराम के माने शांति नहीं है. यूएन के प्रेक्षकों की रिपोर्ट में कश्मीर की घुसपैठ में पाकिस्तान का हाथ होना साफ़ साफ़ साबित हो चुका है. हमारी सेनाओं ने तुरंत कार्यवाही करके हमलावरों को जहाँ तहां रोक रखा है. कई टैंकों व रण गाड़ियों को नष्ट कर दिया गया है. हमें पाकिस्तान की जनता से कोई नाराजगी नहीं. हम उनकी सलामती, उनकी तरक्की चाहते हैं. हम जिस बात के खिलाफ हैं वह, वह वहां का शासन है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र, शांति आदि को पसंद नहीं करता, जैसा कि हम करते हैं. हो सकता है हवाई हमलों से हमें नुकसान हो , लेकिन हमें हँसते हँसते नुकसान उठाने का मन बनाना होगा. आजादी के लिए कुर्बानी करने के लिए हमें तैयार होना होगा. यह राष्ट्र के नाम आह्वान है, उठो और चुनौतियों का सामना करो. पाकिस्तान ने छापामारों को तैयार किया और हमारी भूमि पर भेजा और दुनिया के सामने इंकार करता रहा. उन्हें स्वाधीनता के योद्धाओं की संज्ञा दी लेकिन यह कोई नई बात नहीं है. 1947 में भी पाकिस्तान ने कश्मीर में इसी तरह का रूप धारण किया था. जरूरत है कि हम अपनी शांति और साम्प्रदायिक एकता को बनाए रखें."
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, इंदिरा गांधी ने युद्ध विराम के बारे में एक स्पष्ट बयान दिया था कि "हम युद्ध विराम नहीं करेंगे". उन्होंने यह भी कहा था कि वे पूर्वी पाकिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देंगी और यह कि पाकिस्तान को अपनी सेना वापस बुलाने के लिए मजबूर किया जाएगा. कहने को यह भी कहा था कि हिन्दुस्तान किसी से नहीं डरता, चाहे सातवां बेड़ा हो या सत्तरवां और जब अमेरिका ने सेना वापस लेने का दबाव बनाया तो दो टूक शब्दों में कहा था कोई देश भारत को आदेश देने का दुस्साहस न करे.
और कल वर्तमान पीएम ने राष्ट्र को संबोधित किया. जहां तक मैसेजिंग का सवाल है , राष्ट्र को और साथ ही दुनिया को खूब गया ठीक वैसे ही जैसे फॉर दैट मैटर शास्त्री जी ने दिया था और फिर इंदिरा जी ने दिया था. हाँ, फर्क कहाँ है और फर्क क्या है ? समझेंगे तो सिर्फ यही कहेंगे वर्तमान में इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता था क्योंकि असंभव संभव हुआ !
सर्वप्रथम तो फर्क है पहले के युद्धों के दौरान परमाणु शक्ति वाला फैक्टर एब्सेंट था. उपरोक्त दोनों संबोधन तब हुए सीज फायर के पूर्व के हैं, जबकि कल का पीएम का संबोधन पोस्ट सीज फायर है. हालांकि सीज फायर कॉमन था, तब भी फर्क है. पहले के दोनों सीज फायर अनकंडीशनल थे ऐसे समझौते के लिए जिसकी थोथी शर्तें मनवाई गईं किसी तीसरे के द्वारा. ताशकंद समझौता हुआ या शिमला समझौता हुआ, हार से पस्त हुए पाकिस्तान के लिए सिर्फ और सिर्फ विन सिचुएशन थी. बावजूद अप्रतिम पीएम शास्त्री जी के दृढ़ निश्चय के, उन्हें सोवियत और अमेरिका के दवाब में ताशकंद समझौता करना पड़ा था, जिससे युद्ध में मिला माइलेज छोड़ना पड़ा था. और ऐसा ही इंदिरा जी को भी करना पड़ा था. क्या शिमला समझौते का पालन किया पाक ने ?
युद्ध विराम का मतलब ही होता है एकबारगी रोक देना ताकि दोनों पक्ष आपस में बातचीत कर हल निकाल सकें. अब तक तो सिर्फ कागजों में ही निकला है, कहें तो कागज भी शर्मा गए अपने ऊपर लिखतों का हश्र देखकर. इस बार सीज फायर इस मायने में डिफरेंट हैं कि ऑपरेशन ने विराम लिया है, रुका नहीं है. एक्ट ऑफ़ टेरर को एक्ट ऑफ़ वॉर ही समझा जाएगा, निपटने के लिए ऑपरेशन सिंदूर एक्शन में आ जाएगा. आतंकी घटना के तार पाक से जुड़े तो टेर्रोरिस्ट्स और पाकी सरकार/पाकी सेना एक साथ ऑपरेशन के टारगेट पर होंगे और ऑपरेशन खुद ब खुद पॉज से एक्टिव मोड में आ जाएगा. इसके अलावा बातचीत का एजेंडा इंडिया ने दे दिया है और साथ ही कह दिया है एजेंडा के बाहर कुछ भी नहीं. एजेंडा में सिर्फ दो पॉइंट है, बात होगी तो सिर्फ पी ओ के के लिए होगी और आतंकवाद पर होगी. यह भी आईने की तरह साफ़ कर दिया गया है बातचीत सिर्फ दोनों के बीच में ही होगी, कोई मध्यस्थ नहीं, कोई ट्रम्प बुद्धा नहीं. और जब तक बातचीत अंजाम नहीं पाती, ऑपरेशन सिंदूर ऑन है, पानी समझौता निलंबित है , व्यापार बंद है, कहने का मतलब पोस्ट पहलगाम जो भी कदम उठाये गए हैं, वापस नहीं लिए जाएंगे. कुल मिलाकर शिमला समझौते की ही पालना कराने की ठान ली है वर्तमान पीएम ने !
दरअसल ट्रंप एक ऐसी त्रासदी है, जिसे सिर्फ नजरअंदाज ही किया जा सकता है और दुनिया करने भी लगी है. Make America great again नारा काम कर गया वरना तो यूएस के लोग पछता रहे हैं आज. किसी चाइनीज फर्नीचर वाले ने बतौर मजाक उसका बुद्ध सरीखा बुत क्या बना दिया, वह साम दंड भेद अपनाकर येन केन प्रकारेन खुद को शांतिदूत स्थापित करने पर तुल गया. यूक्रेन रूस वॉर एक दिन में बंद करा रहा था, इजरायल हमास विवाद ख़त्म करा रहा था ; परंतु उसके दोनों दावे खोखले साबित हुए. पहलगाम हुआ और उसने तब मौका ताड़ा जब इंडिया ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. जब जो मन आया, कहा, ट्वीट किया और हंसी का ही पात्र बना मसलन 1000 सालों से इंडिया पाकिस्तान लड़ते रहे हैं, उस पाकिस्तान को इंडिया के समकक्ष बता देना जिसके साथ यूएस का ट्रेड इंडिया के साथ का बीसवां हिस्सा मात्र है, इंडिया टॉप सेवन ट्रेड पार्टनर्स में से एक है, जबकि पाक का कोई अता पता नहीं. दरअसल ट्रंप को ना इतिहास की जानकारी है ना ही भूगोल का पता है. ऊपर से वह सर्टिफाइड झूठा है. उनके पिछले टर्म को लेकर वाशिंगटन पोस्ट ने खुलासा किया था कि ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान औसतन १६ के हिसाब से तक़रीबन तीस हजार बार झूठ बोला था. ऐसा है उसका व्यक्तित्व ! मौके पर सवाल है अमेरिकन मैनहंट ओसामा बिन लादेन कहाँ किया गया था और क्यों किया गया था ? मौके से नेटफ्लिक्स पर डॉक्यूमेंट्री भी आ गई है, देख लें ट्रम्प ! शर्मसार ही होगा क्यों पाकिस्तान की तरफ़दारी करती बातें बोली ? हो सकता है माफ़ी भी मांग ले, यदि चाइनीज के द्वारा बनाये गए satire बुत को गलत साबित करना चाहता है तो !
अब पर्दा उठा दें, वक्त आ गया है. बोल बचन ट्रंप ने ही शुरुआत जो कर दी, कहा कि उसने दोनों देश के बीच परमाणु वार रुकवा कर लाखों लोगों की जानें बचा ली ! हालांकि पीएम ने स्पष्ट कहा कि न्यूक्लियर ब्लैकमेल नहीं चलेगी। पीएम ने ऐसा यूँ ही नहीं कह दिया, वजह है. यह वजह भी डिकोड होगी पर्दा उठने पर.
पश्चिमी स्रोतों सहित विभिन्न रिपोर्टों से पता चलता है कि शनिवार को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी परमाणु कमान को धमकी दी. शुक्रवार की देर रात भारत ने पाकिस्तान के 8 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था, जो कि सफल रहा. पाकिस्तान को बहुत नुकसान हुआ. लगता है कि कुछ परमाणु सुविधाएं क्षतिग्रस्त हो गई थी और रेडियोधर्मिता लीक होने लगी. सूत्र कह रहे हैं कि भारत पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं को नष्ट करने से बस एक कदम ही दूर था , जिससे पाकिस्तान को काफी नुकसान हो सकता था. घबड़ाये पाकिस्तान ने अमेरिका से भारत को रोकने का आग्रह किया. साथ ही डी जी एम ओ ने दोपहर बाद भारत में अपने काउंटर पार्ट से हॉट लाइन पर बात की. संभावित बड़े विनाश को भारत ने भी भांपा और कड़ी ताकीद करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को मुलतवी करना स्वीकारा. ट्रंप ने इसी स्थिति को एक्सप्लॉइट किया और कह सकते है बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना भर होकर रह गया.
भारत के नौसेना प्रमुख ने हिंट भी दिया था कि अब पाकिस्तान को पता है कि भारत किस हद तक जा सकता है और हमने उनके परमाणु झांसे को बेनकाब कर दिया है. कुछेक हैडलाइन हैं मीडिया की -
— US Dept of Atomic Energy aircraft equipped to detect radiation landed at Pakistan’s Nur Khan Base after it was hit by Indian Air Force
— US experts in Rawalpindi to assess nuclear damage
— Radiation reportedly detected at the site
-As said this morning: we decimated their nuclear capability. That 'intel' made Pakistan—and the US—beg India to stop.
- Things went very wrong when India struck Pakistan's Nur Khan air base the other day. Whether wittingly or not, Indian forces threatened Pakistani nuclear command and control and damaged a facility there that now may be leaking radioactivity. Hard to exaggerate just how dangerous the situation had become prior to the US brokered ceasefire. (whoever tweeted this, blocked in India)
-Did Pakistan Suffer A Radioactivity Leak? Egypt's Plane Landing Triggers Nuclear Theories Online
कुल मिलाकर पाकिस्तान तभी तक सुरक्षित है जब तक वे अच्छा व्यवहार करते हैं. यह उन पर निर्भर करता है कि वे बचना चाहते हैं या नष्ट होना चाहते हैं. नि:संदेह पाकिस्तान खूब घबड़ाया हुआ है. आज ही बी एस एफ जवान को भी बाघा बॉर्डर पर रिलीज़ कर दिया. फिर अंदरूनी मसले भी हैं उसके. रिपब्लिक ऑफ़ बलूचिस्तान यदि हकीकत है तो क्या भारत पहला देश नहीं होगा मान्यता देने वालों में ?
कुछेक पाकी पत्रकारों की ज़ुबानी सुनिए खरी खरी -
'जो दूसरे तरफ से हमले किए गए उसके नुकसान के तफ्सील हैं, उसका एविडेंस है, पाकिस्तान के जितने भी शहर थे अमूमन... सूबा पंजाब और सिंध के शहर थे, सात तारीख के बाद इन शहरों में खौफ की फिजा रही. पाकिस्तान के तमाम छोटे-बड़े शहरों में भारतीय ड्रोन सैकड़ों की तादाद में आए, वे अपना काम करते रहे, इन ड्रोन के हमलों ने जहां जहां चाहा वहां-वहां पहुंच इख्तियार की. चाहे वो रावलपिंडी का स्टेडियम हो या फिर अटक के पास, यहां भी बंदा शहीद हुआ. बाकी ड्रोन से बेशुमार लोगों की शहादतें हुईं. पूरे पाकिस्तान के अंदर खौफ रहा. मैं आपको फैक्ट रिपोर्ट कहना चाहता हूं, आप मुझे गद्दार कहें, हजार बार कहें, बात यह है कि अगर आप फैक्ट पर नहीं चलेंगे तो बेहतरी नहीं ला सकेंगे. क्या सिवाय अमृतसर भारतीय शहरों में खौफ की फिजा रही.'
'आपके घर के अंदर उन्होंने हमला किया है, और आप पाकिस्तान में कहते हैं, मोदी साहब कामयाब हैं भाई, वो 100 परसेंट कामयाब हैं, वो 200 फीसदी सफल हैं, याद रखिए. और यहां पर ये कन्फ्यूज लीडरशिप का क्या करना है. मुझे नहीं पता. मेरे पास कोई आइडिया नहीं है.'

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