
हर कॉन्स्टिचुएंसी में एक घोस्ट कैंडिडेट है जिसका कोई प्रचार नहीं हुआ लेकिन बैलटपेपर में नाम है और ऑप्शन भी है उसपर बटन दाबने का !
NOTA का मतलब है नॉन ऑफ़ द अबव यानि इनमें से कोई नहीं ! चुनाव के माध्यम से पब्लिक का किसी भी उम्मीदवार के अपात्र, अविश्वसनीय और अयोग्य अथवा नापसन्द होने का यह मत (नोटा ) संदेश होता है कि कितने प्रतिशत मतदाता किसी भी प्रत्याशी को नहीं चाहते और बिहार के संदर्भ में तो इस बटन की महत्ता सबसे ज्यादा है !
चुनाव आते नहीं कि दल बदल जैसा पवित्र अनुष्ठान सबसे पहले संपन्न होता है। बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे ही घोषित हुए वैसे वहां दल बदलने की वारदातें बढ़ गई ! कोई कांग्रेस से लोजपा में, भाजपा से लोजपा में, राजद से जदयू में गया तो कई नेताओं ने बसपा से राजद का, लोजपा से राजद का, जदयू से भाजपा का, भाजपा से वीआईपी का, रालोसपा से राजद का दामन पकड़ा ! उन्हें टिकट मिल गया और वे चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं ! अलायन्स के बदलते समीकरण की तो हम बात ही नहीं कर रहे हैं !
अब आएं उनपर जो बिहार की संपदा है यानी चरित्रवान उम्मीदवारों पर ! ना कोई दुष्कर्मी छूटा है और ना ही कोई रेपिस्ट ! पति पत्नी दो जिस्म एक जान ही तो हैं ! बाहुबली बाहर है तो उसे टिकट मिल गया है और अंदर हैं तो बेटर हाफ का जन्मसिद्ध अधिकार है ! परित्यक्ता पति को भी टिकट मिल गया है और ससुर साहब पाला बदल लिए हैं और मैदान में भी हैं ! कल तक श्रवणकुमार कहलाते थे और आज भरसक प्रयास करते दिख रहें हैं कि माता पिता का नाम ना लेना पड़े ! पिता श्री तो माना जेल में हैं लेकिन माता श्री से तो प्रचार करवा ही सकते थे !
यदि क्राइम के लिए एक्सटेंडेड रूल अपनाया जाय ; कहने का मतलब इंडियन पीनल कोड के अंतर्गत एक भी आरोपी का परिवार , तो तक़रीबन ६० फीसदी उम्मीदवार पवित्र दागी हैं ! पिछली विधानसभा में ६० फीसदी विधायक आपराधिक पृष्ठभूमि के थे और इस बार तो अल्लाह जाने क्या होगा आगे ?
वादे - प्रतिवादे तो हनीमून पीरियड की याद दिला दे रहे हैं ! राहुल जी ने पहली कैबिनेट की मीटिंग का क्या शगूफा छोड़ा कि चुनावी मित्र तेजस्वी ने लपक लिया और दस लाख सरकारी नौकरी का वादा कर दिया ! पलट १९ लाख रोजगार का भी वादा मिल गया फिर भले ही कचरी - घुघनी ही क्यों ना तलवा दे ? और फिर हर साल बिहार में आठ लाख नए बेरोजगार जुड़ते हैं ; उनका क्या होगा ?
अब थोड़ा गंभीर हो जाएँ ! राजनीति भी एक व्यापार है, आज की सुसंस्कृत भाषा में कहें तो प्रोफेशन है। थोड़ा डीपली सोचेंगे तो यहाँ भी टीआरपी जोड़तोड़ करने सरीखा ही मामला है चूँकि कभी कभी ख्याल आ ही जाता है और लगता है घटना पॉलिटिकल स्कोर या माइलेज लेने के लिए ही तो कराई गई है ! ज्यादा खुलकर बोलेंगे तो हमपर फ्रीडम ऑफ़ स्पीच के दुरुपयोग का आरोप जरूर लग जाएगा ! अब देखिये ना कल मुंगेर में दुर्गा विसर्जन के दौरान पुलिसिया अतिरेक में एक घटना हुई जिसमें एक की गोली लगने से मृत्यु हो गयी और पुलिसकर्मी समेत कई घायल भी हुए ! नेताओं को पराधीन भारत के जलियांवाला बाग फेम अंग्रेज जनरल डायर याद आ गए ! तब डायर ने अपने ट्रूप से ३८० निरपराध लोगों का नरसंहार करवा दिया था। किसी ने नीतीश कुमार को डायर बता दिया तो किसी ने बेचारी लिपि सिंह को डायर कह दिया ! यकीन मानिये कांग्रेस महागठबंधन की हिस्सा नहीं होती या गठबंधन कांग्रेस के खिलाफ होता तो यही सारे ८४ के नरसंहार को याद करते हुए राजीव गांधी की भी लानत मलानत कर बैठते ; इतनी दूर जाने की जहमत ही नहीं उठाते !
एक और बात बिहार का चुनावी माहौल देखिये ! हरेक पार्टी बयानवीर का खिताब जितने में लगी है ! इस प्रक्रिया में नैतिकता गयी भांड में ! जदयू के राष्ट्रीय सचिव व मंत्री संजय कुमार झा ने लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान को जमूरा कहा। उनके अनुसार मदारी जैसे नचा रहा है, वैसे वे नाच रहे हैं। फिल्म की तरह चिराग का चिराग सियासत में भी बुझ जाएगा। तो भई झा जी ! ई भी तो बूझा देते कि अगर चिराग जमूरा हैं तो आखिर मदारी कौन है? एक और बानगी देखिये कांग्रेस की पंखुड़ी पाठक ने आननफानन में एक वीडियो ट्वीट करत हुए चिराग पासवान पर ट्वीट किया, 'स्वर्गीय पिता की तस्वीर के सामने श्रद्धांजलि देने की जगह चिराग पासवान का यह ड्रामा शर्मनाक है। ऐसे लोगों की वजह से राजनीति बदनाम है। जनता को जागरूक होकर अपने बीच के जन प्रतिनिधि चुन ऐसे ड्रामेबाजों को राजनीति से बाहर करना होगा।' हालाँकि वे राजनैतिक गलती कर बैठी ! उनका दोष नहीं है ! सेल्फ गोल इतने देखे हैं कि मेन गोलपोस्ट दिखता ही नहीं है ! एलजेपी के साथ कोई फायदे का समीकरण बैठता , उसके पहले ही धराशायी हो गया पंखुड़ी के इस कृत्य से ! दूसरी तरफ एलजेपी का दावा है कि वायरल वीडियो में चिराग पासवान अपने महत्वकांक्षी कार्यक्रम “बिहारी फर्स्ट, बिहार फर्स्ट” का वीडियो शूट कर रहे हैं।
कोई शिक्षा के बहाने तेजस्वी के नवीं फेल होने का मजाक उड़ा रहा है और नीतीश कुमार जी ने तो दोनों तेजों के जन्म पर ही आपत्ति दर्ज करा दी है ! मोदी जी ने तेजस्वी को जंगलराज का युवराज बता दिया है ! कितनी बात करें ? पॉलिटिक्स ने तो सारी मर्यादाएं ही छिन्नभिन्न कर दी हैं ! पकड़वा विवाह कभी खूब होते थे बिहार में और इस चुनाव में तो बॉलीवुड की हीरोइन से ही जबरदस्ती प्रचार करवा लिया चिराग की पार्टी ने !
क्या बिहार की जनता चाहती है कि उनकी पूरी की पूरी कैबिनेट आरोपी क्रिमिनल्स की हों ? यदि नहीं , तो इस बार व्यस्त ना रहें और दिन का दुरुपयोग जरूर करें ! बटन दबाएं लेकिन नोटा पर दबाएं ! रंगा भी खुश, बिल्ला भी खुश ! चूँकि पहले फेज की वोटिंग हो चुकी है, हम तहे दिल से क्षमाप्रार्थी हैं पहले आपका समय खराब नहीं किया ! वैसे एक वोटर का धर्मसंकट दिखा कल जब उसने कहा - वोट वैक्सीन के लिए दूँ या सरकारी नौकरी के लिए ! हमारा प्रयास यही है कि वोटर किसी धर्मसंकट में पड़े ही नहीं !

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